जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 को हटाने वाले भारत सरकार के फैसले पर कल सोमवार को सुप्रीम कोर्ट की मुहर लग गई. कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रपति और संसद ने सही तरीके से आर्टिकल 370 को निरस्त किया और उनको इसका अधिकार था. अदालत ने हालांकि अपने फैसले में एक लेकिन भी जोड़ दिया. कहा जम्मू कश्मीर को राज्य का दर्जा जल्द से जल्द दिया जाए और अगले साल सितंबर से पहले वहां विधानसभा चुनाव हो.
देश के गृह मंत्री अमित शाह ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है और कहा है कि उचित समय पर जम्मू-कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट के फैसले को गृह मंत्री ने ऐतिहासिक बताया और कहा कि देश में अब से केवल एक संविधान, एक राष्ट्रीय ध्वज और एक प्रधान मंत्री होगा. जम्मू कश्मीर के संदर्भ में लाए गए दो नए विधेयकों पर चर्चा का जवाब देते हुए ने कल राज्यसभा में गृह मंत्री ने या बातें की. उन्होंने कश्मीर समस्या के लिए देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को दोषी ठहराया.
POK के लोगों के लिए 24 सीटों का आरक्षण
शाह का कहना था कि गलत समय पर युद्धविराम का आदेश देकर और मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में ले जा कर भारी गलती हुई. गृह मंत्री की मानें तो अगर संघर्षविराम नहीं हुआ होता तो पीओके नहीं होता. अमित शाह ने यहां तक कहा कि जब देश की एक इंच जमीन भी छोड़ने की बात आएगी तो भाजपा कोई बड़ा दिल नहीं दिखाएगी. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर (पीओके) भारत का अभिन्न अंग है और इसे कोई छीन नहीं सकता. साथ ही नई व्यवस्था के बाद जम्मू-कश्मीर विधानसभा में पीओके के लोगों के लिए 24 सीटों के आरक्षण की भी बात शाह ने की.
‘जम्मू-कश्मीर ही आतंकवाद से क्यों पीड़ित था’
शाह ने राज्यसभा में कहा कि अनुच्छेद 370 ने जम्मू कश्मीर में अलगाववाद और आतंकवाद को बढ़ावा दिया लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हिंसा से मुक्त एक नया और विकसित कश्मीर बनाया जा रहा है. शाह ने सवाल किया कि कश्मीर से अधिक मुस्लिम आबादी वाले दूसरे राज्य हैं लेकिन केवल जम्मू-कश्मीर ही आतंकवाद से क्यों पीड़ित था? शाह का इस पर तर्क था कि ऐसा इसलिए क्योंकि अनुच्छेद 370 के कारण जम्मू कश्मीर में अलगाववाद पैदा हुआ.
कोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहा था?
शाह सोमवार को संसद में उस दिन बोल रहे थे जब कुछ घंटे पहले मुख्य न्यायधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने एक ऐतिहासिक फैसले में भारत सरकार के उस फैसले को बरकरार रखा था जिसके बाद जम्मू कश्मीर का विशेषाधिकार खत्म हो गया. हालांकि कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर के लिए जल्द से जल्द राज्य का दर्जा बहाल करने का आदेश दिया और 30 सितंबर, 2024 तक विधानसभा चुनाव कराने की डेडलाइन दे दी.